तकनीक की छांव में पर्यावरण का उजाला: बरेका में सोलर ट्री की अनोखी पहल



वाराणसी। बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने एक बार फिर अपनी नवाचारी सोच और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता का परिचय दिया है। बरेका प्रशासन द्वारा पश्चिम उपनगर के बइंटर कॉलेज चौराहे पर लगाए गए अत्याधुनिक सोलर ट्री ने न सिर्फ क्षेत्र की सूरत निखारी है, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक जागरूकता की अलख भी जलाई है।

सोलर ट्री: प्रकृति, तकनीक और सौंदर्य का त्रिवेणी संगम

बरेका के महाप्रबंधक श्री नरेश पाल सिंह की पहल पर लगाए गए इस सोलर ट्री को केवल एक ऊर्जा उपकरण के रूप में नहीं, बल्कि एक स्थानीय लैंडमार्क के रूप में देखा जा रहा है।
गोल चबूतरे के बीचों-बीच खड़ा यह सोलर ट्री अपनी फैली हुई पत्तियों जैसी एलईडी ब्रांचों से रात के अंधेरे को उजाले में बदल रहा है।

हर रात बनता है ‘रोशनी का त्योहार’

नीली और सफेद टाइलों से बना यह चबूतरा रात में जैसे ही सोलर ट्री की रोशनी से जगमगाता है, वैसे ही यह इलाका मनमोहक स्वप्नलोक जैसा प्रतीत होता है। बच्चे, बुजुर्ग और राहगीर सभी इसकी खूबसूरती को देखने रुकते हैं और इसकी टेक्नोलॉजी से प्रभावित भी होते हैं।

हरित ऊर्जा की ओर एक प्रेरक कदम

बरेका का यह कदम न केवल ऊर्जा संरक्षण की दिशा में है, बल्कि यह एक पर्यावरणीय संदेशवाहक भी है। न तो बिजली की खपत, न ही प्रदूषण — सिर्फ सूरज की रोशनी से संचालित यह ट्री स्मार्ट सिटी और ग्रीन फ्यूचर की परिकल्पना को मूर्त रूप दे रहा है।

स्थानीयता को मिला वैश्विक विज़न

पश्चिम उपनगर का यह सोलर ट्री अब सिर्फ बरेका का नहीं, बल्कि पूरे वाराणसी का सस्टेनेबल डेवलपमेंट का प्रतीक बनता जा रहा है। स्थानीय निवासियों को इससे रोशनी और सजावट तो मिली ही है, साथ ही यह आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ ऊर्जा के महत्व को समझाने का माध्यम भी बन रहा है।


बरेका का यह सोलर ट्री कोई साधारण तकनीकी स्थापना नहीं, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण, नवाचार और सौंदर्यबोध का प्रतीक है। यह दिखाता है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो हर सरकारी या शहरी इलाका न केवल आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि सुंदर और जागरूक भी।

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